Aar-Paar (1954), which tells the story of a migrant taxi driver in Bombay who is in love with two women, blended elements of film noir with comedy. Scripted by Nabendu Ghosh and directed by and starring Guru Dutt, the film was a huge success, the first of many that the actor-director would deliver in the early 1950s. Aar-Paar cemented the core team of technicians that took shape in the action-adventure drama Baaz (1953) and was to define Guru Dutt's strikingly individualistic cinema of the 1950s, the high points of which were Pyaasa (1957) and Kaagaz Ke Phool (1959). The Aar-Paar crew included Raj Khosla, (a filmmaker Guru Dutt had mentored), as well as screenwriter Abrar Alvi and cinematographer V.K. Murthy, who went on to do seminal work with the filmmaker. In Aar-Paar,...
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आर पार (1954) बम्बई शहर के एक ऐसे प्रवासी टैक्सी ड्राइवर की कहानी है, जिससे दो स्त्रियाँ एक ही समय पर प्यार कर बैठती हैं और उससे शादी करना चाहती हैं। यह फ़िल्म हल्के-फुल्के हास्य के साथ एक ख़ास तरीके की रहस्य-अपराध और स्याह परछाइयों से मिलकर बनती पश्चिम से आई 'नॉयर' शैली के तत्वों को मिलाती है। इसकी पटकथा लेखक नबेन्दु घोष ने लिखी थी और इसके नायक और निर्देशक गुरु दत्त थे। इस फ़िल्म की व्यावसायिक सफलता के साथ ही गुरुदत्त की अभिनेता और निर्देशक की दोहरी भूमिका में हिट फ़िल्मों का सिलसिला चालू हो गया। एक्शन और रोमांच से भरी बाज़ (1953) के साथ गुरुदत्त की जिस तकनीकी रचनात्मक टीम ने आकार लेना शुरु किया था, आर पार उसे स्थापित कर दिया। इसी गुणी टीम के साथ मिलकर आगे गुरुदत्त ने पूरे पचास के दशक में बेहद ख़ास व्यक्तिपरक किस्म के सिनेमा का निर्माण किया। इस किस्म के सिनेमा की चरम अभिव्यक्ति प्यासा (1957) और कागज़ के फूल (1959) को माना जा सकता है। आर पार की टीम में गुरुदत्त के शागिर्द रहे और बाद में बड़े निर्देशक बने राज खोसला, नामी पटकथा लेखक अबरार अल्वी और विलक्षण सिनेमैटोग्राफ़र वी.के. मूर्ति शामिल थे। अभिनेता जॉनी वॉकर भी इस टोली का अभिन्न हिस्सा बन चुके थे। उनकी पिछली...
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